जिम्बाब्वे में 40 साल का सबसे बड़ा सूखा, संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया से की बड़ी अपील

छवि स्रोत: रॉयटर्स
जिम्बाब्वे में सूखा.

हरारे: ज़िम्बाब्वे में 40 साल के सबसे भीषण सूखे से संयुक्त राष्ट्र भी हैरान है. यहां की नदियों और तालाबों में धूल उड़ रही है. खेत-खलिहान रेगिस्तान में तब्दील हो गये हैं. फसलें सूख गयी हैं. इससे लोगों पर भुखमरी और अकाल का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. परिस्थितियों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया से जिम्बाब्वे को मानवीय सहायता प्रदान करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी एजेंसी ने गुरुवार को कहा कि जिम्बाब्वे चार दशकों में सबसे खराब सूखे की चपेट में है और देश की लगभग आधी आबादी को पीने के पानी और भोजन की तत्काल आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र ने जिम्बाब्वे के लिए 430 मिलियन डॉलर की सहायता की अपील की है। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा कि देश की 1.5 करोड़ की आबादी में से 76 लाख लोगों को आजीविका और अस्तित्व के लिए मानवीय सहायता की आवश्यकता है। एजेंसी के अधिकारी एडवर्ड मैथ्यू कैलन ने कहा कि हम सबसे गंभीर रूप से प्रभावित जिलों के 31 लाख लोगों को तत्काल मदद की अपील कर रहे हैं.

अल नीनो सूखे का कारण बना

बताया जा रहा है कि अल नीनो के कारण दक्षिणी अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों में सूखा पड़ गया है, जिससे इंसानों और जानवरों के लिए भोजन और पानी की भारी कमी हो गई है. ज़िम्बाब्वे एक कृषि प्रधान देश है और एक समय भोजन का निर्यातक था, लेकिन वर्तमान में यह सूखे से सबसे अधिक प्रभावित है। संयुक्त राष्ट्र ने ज़िम्बाब्वे को खाद्य सहायता से लेकर नकद हस्तांतरण और सौर ऊर्जा संचालित बोरहोल के निर्माण में मदद की अपील की है जो लोगों और पशुओं को पीने का पानी उपलब्ध कराएगा। (एपी)

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