ट्रायल कोर्ट का फैसला सुनकर भड़के हाई कोर्ट के जज, कहा- सिर्फ एक शख्स दोषी… 2 जजों को दी गई सजा

नई दिल्ली। दहेज प्रताड़ना मामले में पटना हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. गलत तरीके से ट्रायल चलाने और फिर याचिकाकर्ता को सजा सुनाने के मामले में कोर्ट ने समस्तीपुर जिला कोर्ट के दो जजों को सिर्फ सांकेतिक सजा दी. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हुई प्रताड़ना के मद्देनजर दोनों जजों को 100 रुपये का प्रतीकात्मक मुआवजा देने का आदेश दिया. जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि एक ऐसे व्यक्ति को दोषी ठहराया गया जिसके खिलाफ मामला चलाने लायक भी नहीं था. मुकदमा चलाया जाए. उपरोक्त आदेश समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय अनुमंडल निवासी सुनील पंडित द्वारा अधीनस्थ अदालत द्वारा सुनायी गयी सजा के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया गया.

पंडित ने समस्तीपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें 2016 में तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। याचिकाकर्ता का नाम उसी गांव की निवासी एक महिला द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में था। महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था. न्यायमूर्ति चौधरी ने याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा एक महिला के प्रति क्रूरता) और दहेज अधिनियम के तहत अपराध से बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता महिला के पति का रिश्तेदार नहीं था, बल्कि अन्य आरोपी व्यक्तियों का सलाहकार मात्र था।

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सेशन जज और मजिस्ट्रेट जज पर लगाया गया जुर्माना…
उच्च न्यायालय ने संबंधित न्यायिक अधिकारियों उपमंडल न्यायिक दंडाधिकारी, अपर सत्र न्यायाधीश-तृतीय, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, समस्तीपुर को 100-100 रुपये की टोकन राशि जमा करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि दोनों अधीनस्थ अदालतों के उदासीन दृष्टिकोण के कारण याचिकाकर्ता को हुई मानसिक पीड़ा, आघात और सामाजिक कलंक को ध्यान में रखते हुए “प्रतीकात्मक राशि” का जुर्माना लगाया जा रहा है। न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा, “यह सभी अदालतों का दायित्व और कर्तव्य है कि वे शिकायत की सावधानीपूर्वक जांच करें और फिर संज्ञान लें और कानून के अनुसार आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करें।”

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