वर्षांत 2023 भाजपा के लिए सफल रहा, हिंदी प्रदेशों में व्यापक जीत दर्ज की, 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मंच तैयार किया

वर्षांत 2023: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव (लोकसभा चुनाव 2024) होने वाले हैं। इससे पहले साल 2023 भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बेहद शुभ साबित हुआ है. बीजेपी ने इस साल जहां हिंदी भाषी राज्यों में जोरदार पैठ बनाई है, वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी अच्छा और मजबूत मंच तैयार कर लिया है. हिंदी पट्टी के राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बेदखल होकर सत्ता पर काबिज हो गई है. . साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने का साहस भी दिखाया.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक बीजेपी के लिए राहत भरा नहीं रहा है. बीजेपी इस राज्य में अपनी गठबंधन सरकार की वापसी नहीं दोहरा सकी. यह राज्य उनके हाथ से फिसलकर कांग्रेस के हाथ में चला गया।

भूपेश बघेल सरकार सत्ता से बाहर हो गई

अगर इन 3 हिंदी भाषी राज्यों को जीतने की रणनीति की बात करें तो ‘मोदी की गारंटी’ ने यहां सबको क्लीन स्वीप कर दिया. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को हराने के लिए बीजेपी ने फुलप्रूफ रणनीति बनाई थी. इसके चलते बीजेपी ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 47 नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा था. यहां बीजेपी को 46.27 फीसदी वोट शेयर मिला था, जबकि सत्ता में रही कांग्रेस को सिर्फ 42.33 फीसदी वोट शेयर मिला था.

ईडी के 508 करोड़ रुपये के लेनदेन के खुलासे ने बदल दिया चुनावी समीकरण

छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में बीजेपी ने कांग्रेस को बड़ी हार दी है. इस क्षेत्र में कांग्रेस 14 सीटों पर हार गई, जिसमें पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव की अंबिकापुर सीट भी शामिल है, जहां से बीजेपी के राजेश अग्रवाल जीते थे. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ईडी ने महादेव सत्ता ऐप प्रमोटरों से 508 करोड़ रुपये के लेनदेन के मामले में उजागर किया, जिसने पूरे चुनावी समीकरण को बदल दिया।

कांग्रेस के अधूरे वादे गिनाकर बीजेपी ने वोट बैंक में लगाई सेंध.

बीजेपी ने यहां कांग्रेस के 2018 के चुनावी वादे पर भी हमला बोला. बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे भूल गई. इसमें पार्टी को जनता का पूरा समर्थन मिला. सत्ता में आई बीजेपी ने नए चेहरे विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेला है. उन्होंने कुनकुरी विधानसभा सीट से 87,604 वोटों से जीत हासिल की. सीएम बनने से पहले वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.

मध्य प्रदेश में बंपर जीत हासिल की, सरकार बरकरार रखी

दूसरे हिंदी भाषी राज्य मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 163 सीटों पर बड़ी जीत हासिल की थी. कांग्रेस को यहां सिर्फ 66 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी को मिले मतदान प्रतिशत की बात करें तो वह 48.55 फीसदी रहा जबकि कांग्रेस को महज 40.40 फीसदी वोट मिले. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली ब्राह्मण योजना ने महिला मतदाताओं की संख्या में बड़ी सेंध लगाई.

इसके अलावा बीजेपी को कई अन्य योजनाओं का भी चुनाव में बड़ा फायदा मिला. लेकिन यहां शिवराज सिंह चौहान को दोबारा सीएम बनाने के बजाय 2013 में पहली बार और बाद में 2018 में उज्जैन दक्षिण से चुनाव जीतने वाले मोहन यादव को 2023 में तीसरी बार जीतने के बाद सीएम पद पर नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति को लोकसभा चुनाव 2024 में ओबीसी मतदाताओं में सेंध लगाने के तौर पर भी देखा जा रहा है.

राजस्थान में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई

राजस्थान इस साल बीजेपी के खाते में जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा हिंदी भाषी राज्य रहा है. सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस ने यहां सिर्फ 39.53 फीसदी वोट शेयर के साथ 69 सीटें हासिल की थीं. वहीं सत्ता की चाबी पाने वाली बीजेपी को 41.69 फीसदी वोट शेयर के साथ 115 सीटों पर बंपर जीत मिली.

‘लाल डायरी’ कांड ने बिगाड़ा गहलोत सरकार का खेल!

अशोक गहलोत सरकार को हराने के लिए बीजेपी ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बालक नाथ जैसे दिग्गज सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था, जिसका उसे बड़ा फायदा मिला है. राजस्थान से गहलोत सरकार को हटाने में ‘लाल डायरी’ कांड ने भी बड़ी भूमिका निभाई. इधर, बीजेपी ने सांगानेर से पहली बार विधायक चुने गए भजनलाल शर्मा को सीएम की कुर्सी पर बिठाया है और दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा को डिप्टी सीएम बनाया है.

नागालैंड में बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन का अच्छा प्रदर्शन

इस साल बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन ने नॉर्थ ईस्ट के नागालैंड चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया. गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 सीटें जीतीं। बीजेपी ने यहां 2 सीटें जीतीं.

लोकसभा चुनाव में वोट शेयर का लक्ष्य 50 फीसदी है

इन सबको ध्यान में रखते हुए बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार कर रही है. इस साल कई राज्यों में मिली जीत से बीजेपी काफी उत्साहित है. उसने लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसे लेकर एजेंडा भी तय किया गया है. उसने 15 जनवरी 2024 से क्लस्टर मीटिंग आयोजित करने की तैयारी की है. युवा मोर्चा देशभर में 5000 से ज्यादा सम्मेलन आयोजित करेगा. वहीं, बीजेपी नए मतदाताओं से संपर्क करने के लिए बूथ स्तर पर कार्यक्रम भी आयोजित करेगी.

राम मंदिर के जरिए करीब 10 करोड़ परिवारों से संपर्क

इसके अलावा बीजेपी देश भर के करीब 10 करोड़ परिवारों को राम मंदिर उत्सव के लिए प्रोत्साहित करने की तैयारी में है. इस दौरान घर-घर जाकर लोगों से संपर्क किया जाएगा। सामाजिक सम्मेलन आयोजित कर उन्हें राम मंदिर आयोजन से भी जोड़ा जाएगा. 1 जनवरी से देशभर के हर गांव में ऐसे कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे और लोगों को इस दिन दिवाली मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

अल्पसंख्यक स्नेह संवाद का आयोजन किया जाएगा

वहीं, बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय को शामिल करने के लिए ‘आउटरीच’ कार्यक्रम आयोजित करेगी. इसके लिए बीजेपी अल्पसंख्यक प्रेम संवाद का आयोजन शुरू करेगी. इसके जरिए पार्टी इस वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने का भी प्रयास करेगी.

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