समुद्री ईंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की ओर बढ़ रही दुनिया, जानें क्या कर रहा है भारत?

छवि स्रोत: एपी
समुद्री जहाज़ ईंधन (फ़ाइल फ़ोटो)

सिंगापुर: भारत ने नई प्रौद्योगिकियों और जहाज ईंधन के रूप में मेथनॉल और अमोनिया का उपयोग करने की क्षमता का पता लगाने के लिए वैश्विक शिपिंग उद्योग के साथ साझेदारी का आह्वान किया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि सिंगापुर दौरे पर गए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यह मांग की है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ‘सिंगापुर समुद्री सप्ताह’ में भाग लेने के लिए यहां आया है। इस सम्मेलन में दुनिया भर से 10,000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

समुद्री ईंधन का स्वच्छ विकल्प

बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव भूषण कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, “हम शिपिंग उद्योग में हितधारकों के साथ सभी नई प्रौद्योगिकियों और जहाज ईंधन के रूप में मेथनॉल और अमोनिया का उपयोग करने की क्षमता तलाशने के लिए तत्पर हैं।” यहां जानें।” मीथेन और अमोनिया को पारंपरिक समुद्री ईंधन का स्वच्छ विकल्प माना जाता है। कम कार्बन स्रोतों से उत्पादित ग्रीन अमोनिया और मेथनॉल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं।

ग्रीन फ्यूल पर काम करना होगा

भूषण कुमार ने कहा, ”हमें हरित ईंधन पर काम जारी रखना होगा. भले ही यह इस स्तर पर व्यावसायिक रूप से बहुत आकर्षक न हो, लेकिन इसे व्यावसायिक रूप से बेहतर बनाना होगा।” उन्होंने आगे कहा कि हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में भारत के प्रयासों से उद्योग को ऊर्जा संक्रमण में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2027 तक भारत में हाइड्रोजन उत्पादन वास्तविकता बन जाएगा। भारत कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन बंदरगाहों पर हाइड्रोजन हब स्थापित कर रहा है। रिलायंस और एलएंडटी को हाइड्रोजन केंद्र स्थापित करने के लिए कांडला में जमीन दी गई है। (भाषा)

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