ईद उल फितर मुहम्मद अली जिन्ना को नमाज के समय देर हो गई, मौलाना जहूर उल हसन ने उन्हें ईदगाह में आखिरी पंक्ति में बैठाया, किस्सा

मीठी ईद: पाकिस्तान में आज यानी बुधवार (10 अप्रैल) को ईद उल फितर का त्योहार मनाया जा रहा है। सुबह विभिन्न ईदगाहों में ईद की नमाज अदा की गयी. जब भी पाकिस्तान का जिक्र होता है तो सबसे पहला नाम जो दिमाग में आता है वो है मोहम्मद अली जिन्ना का. पाकिस्तान के संस्थापक और मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग की थी.

पाकिस्तान के गठन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना केवल कुछ महीनों तक ही जीवित रहे। इस दौरान उन्हें केवल एक बार ईद पर नमाज पढ़ने का मौका मिला और उसमें भी देर से पहुंचने के कारण उन्हें आखिरी पंक्ति में बैठना पड़ा. जब ईदगाह के मौलाना से जिन्ना का इंतजार करने को कहा गया तो उन्होंने इनकार कर दिया. आइए जानते हैं क्या है वह कहानी?

आखिरी पंक्ति में बैठकर नमाज पढ़नी पड़ी
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची के ईदगाह में नमाजियों की भारी भीड़ जुटी थी. हर कोई जानता था कि पाकिस्तान के कायदे आजम कहे जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना भी उनके साथ नमाज में शामिल होंगे. हालांकि जिन्ना के आने की खबर किसी को नहीं हुई. दरअसल, जिन्ना के देर से आने की वजह से वह आम लोगों के साथ पीछे की कतार में बैठकर नमाज पढ़ने लगे।

हालांकि, नमाज खत्म होने के बाद जैसे ही लोगों को पता चला कि जो शख्स आम आदमी बनकर उनके साथ नमाज पढ़ रहा है, वह पाकिस्तान के कायद-ए-आजम हैं, तो उन्होंने जिन्ना जिंदाबाद के नारों के साथ उनका स्वागत किया.

मौलाना ने जिन्ना के लिए रुकने से इनकार कर दिया
इस रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद अली जिन्ना को ईदगाह में नमाज के समय के बारे में पहले ही बता दिया गया था. किन्हीं कारणों से वह समय पर नहीं पहुंच सके। इस दौरान अधिकारियों ने ईदगाह के मौलाना जहूर-उल-हसन को जिन्ना के देर से आने की जानकारी दी और उनसे नमाज कुछ समय के लिए आगे बढ़ाने का अनुरोध किया.

मौलाना जहूर-उल-हसन ने अधिकारियों के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं यहां कायदे आजम के लिए नमाज पढ़ने नहीं आया हूं. उन्होंने कहा कि मैं अल्लाह के लिए नमाज पढ़ने आया हूं. गौरतलब है कि मौलाना जहूर-उल-हसन ऑल इंडिया मुस्लिम लीग काउंसिल के सदस्य थे. जिन्ना उन्हें सिंध का ‘बहादुर यार जंग’ कहा करते थे.

जिन्ना ने मौलाना की तारीफ की
उस दिन ईदगाह में जिन्ना का इंतज़ार नहीं करना पड़ा और नमाज़ शुरू हो गई. हालांकि, कुछ देर में ही जिन्ना वहां पहुंच गए, लेकिन उन्होंने आखिरी पंक्ति में बैठकर ही नमाज पढ़ी. अधिकारियों ने उनसे आगे बैठने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. उन्होंने नमाज में देरी न करने के लिए मौलाना की तारीफ भी की.

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