अंतरिक्ष में परमाणु हथियार रखने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और रूस आमने-सामने हैं

अंतरिक्ष में परमाणु हथियार: अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों के मुद्दे पर अमेरिका और रूस बुधवार (24 अप्रैल) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आमने-सामने होने वाले हैं। अमेरिका ने अंतरिक्ष में हथियार रोकने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर आज वोटिंग होनी है. कुछ राजनयिकों ने अनुमान लगाया है कि रूस इस मसौदे को रोक सकता है.

दरअसल, अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाया है कि रूस अंतरिक्ष आधारित हथियार बना रहा है. अमेरिका रूस के इस अभियान को दुनिया और अपने लिए खतरनाक मानता है. अमेरिका ने अब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया है. अमेरिका का कहना है कि रूस अंतरिक्ष में तैनात करने के लिए एंटी-सैटेलाइट परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। उधर, रूस के रक्षा मंत्री ने अमेरिका के इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.

अमेरिका और जापान के सदस्यों से बात हो रही है
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड और जापान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत यामाजाकी काजुयुकी ने शुक्रवार को एक संयुक्त बयान दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह पिछले छह सप्ताह से इस मसौदे को लेकर सुरक्षा परिषद के सदस्यों से बातचीत कर रहे हैं. अमेरिका का कहना है कि ऐसे परमाणु हथियार अंतरिक्ष में नहीं रखे जा सकते.

समझौते के मुताबिक अंतरिक्ष में हथियार तैनात करना प्रतिबंधित है.
1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि पर हस्ताक्षर करने वालों में रूस और अमेरिका भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि ‘परमाणु हथियार या किसी अन्य प्रकार के सामूहिक विनाश के हथियार ले जाने वाली वस्तुओं’ को पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में नहीं रखा जा सकता है। रूस और चीन पहले परिषद में संशोधन पर मतदान कराने की योजना बना रहे हैं.

अंतरिक्ष हथियार क्या है
अंतरिक्ष हथियार वे हथियार हैं जिनका उपयोग अंतरिक्ष युद्ध में किया जाता है। इनमें ऐसे हथियार शामिल हैं जो उपग्रहों या अंतरिक्ष स्टेशनों पर हमला कर सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से एंटी सैटेलाइट हथियार शामिल हैं. कुछ ऐसे हथियार भी हैं जो अंतरिक्ष से धरती पर हमला कर सकते हैं या अंतरिक्ष से गुजरने वाली मिसाइलों को निशाना बना सकते हैं। ऐसे में अमेरिका को चिंता है कि अगर रूस ये सब करने में कामयाब हो गया तो रूस को रोकना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अभी तक ऐसे हथियारों का कोई समाधान सामने नहीं आया है.

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